प्यार में सब कुछ जायज है.

प्यार में सब कुछ जायज है.


अल्ताफ जिस स्कूल में पढ़ता था, उसी स्कूल में हिना भी पढ़ती थी,अल्ताफ सातवीं क्लास में पढ़ता था,वहीँ हिना दसवीं में पढ़ती थी.अल्ताफ स्कूल में हमेशा कोई ना कोई बहाने से हिना को देखता रहता था,और उसे स्कूल में कोई रोकने वाला भी नहीं था,क्योंकि स्कूल का हेड मास्टर अल्ताफ के अब्बा थे,इसलिए उसे स्कूल में कोई डर भी नहीं था,

लेकिन अल्ताफ बहुत दुखी था,क्योंकि अगले साल हिना दसवीं पास करके स्कूल छोड़ देगी, ये बातें अल्ताफ को हमेशा परेशान कर रही थी, लेकिन वो कर भी क्या सकता था? और एक साल बाद हिना स्कूल छोड़ दी, स्कूल ही नहीं उसने वो जगह भी छोड़ दिया,अल्ताफ ने बहुत प्रयास किया लेकिन उसे हिना का कुछ पता नहीं चला. वक्त बीतता गया धीरे-धीरे अल्ताफ बड़ा हो गया,लेकिन वो हिना को भुला नहीं पाया था, एक दिन अचानक अल्ताफ की अम्मी गुजर गयी,अल्ताफ बहुत रोया, अब उसके अब्बा भी बिलकुल अकेले हो गए थे,घर में किसी को मन नहीं लग रहा था,घर वालो को कुछ समझ नहीं आ रहा था,किसी ने अल्ताफ के अब्बा को बोला की वो अल्ताफ का निगाह करवा दे,क्योंकि घर में एक औरत का होना जरुरी है,



जिससे घर घर जैसा लगे, लेकिन अल्ताफ शादी करने से मना कर रहा था,क्योंकि उसके जेहन में तो हिना बसी हुई थी, अल्ताफ को कई लोगो ने समझाया,लेकिन अल्ताफ मना करता रह गया,अब तो अल्ताफ के अब्बा की मुसीबत और बढ़ गयी थी, क्योंकि घर में कोई नहीं था,तो घर कौन सम्भलता? वक्त के साथ -साथ मुसीबत बढ़ती जा रही थी, और इसी बीच एक दिन अल्ताफ के अब्बा ने दूसरी निगाह कर ली,अब तो अल्ताफ को बहुत गुस्सा आया,लेकिन वो कर भी क्या सकता था? अल्ताफ की आँखें उस समय खुली की खुली रह गयी जब उसने अपनी नयी अम्मी को देखा वो कोई और नहीं हिना थी, हिना को देखते ही उसके पैरो तले जमीन खिसक गयी.

अब तो उसकी हालत देखने वाली थी, उसे समझ नहीं आ रहा था की आखिर हिना कहाँ गायब हो गयी और ऐसा क्या हुआ की उसे उसके अब्बू से निकाह करनी पड़ी, जब उसने हिना से पूछा तो हिना ने बताया की दसवीं पास करने के बाद वो एडमिशन लेने के लिए अब्बू और अम्मी के साथ बाहर जा रही थी,तभी एक्सीडेंट में उसके अम्मी और अब्बू गुजर गए और वो अकेली रह गयी,

उसके चाचा ने उसे अपने यहाँ पनाह दिया लेकिन उसकी चची ने कभी उसे आगे पढ़ने नहीं दिया उसे सिर्फ नौकरानी समझा, बिना अब्बू और अम्मी के वो बिलकुल अकेली हो गयी थी, पड़ोस में रहने वाला लड़का भी गलत निगाहों से देखता था, वो घर से बाहर नहीं निकल पा रही थी वो घुट रही थी, घर के अंदर भी चाची हमेशा उसे ताना देती थी की मेरे ही वजह से मेरी अब्बू और अम्मी की जान गयी,

मैंने तो कई बार खुदखुशी करने की भी सोची लेकिन कभी कर नहीं पायी,एक दिन अचानक से मेरी निगाह की बात चली और तुम्हारे अब्बू से मेरी निगाह करवा दी गयी, मैंने जब तुम्हारे अब्बू को देखा तो मुझे याद आ गया की ये मेरे टीचर थे,लेकिन मैं क्या कर सकती थी, इस तरह से अल्ताफ जिसे अपनी बीबी बनाना चाहता था वो आज उसकी अम्मी बन गयी, वो बहुत उदास रहने लगा, जिसका इंतजार वो सालो से कर रहा था वो मिली भी तो इस तरह उसे विश्वास नहीं हो रहा था, लेकिन क्या कर सकता था, और कुछ दिनों के बाद अल्ताफ के अब्बू भी गुजर गए, और एक बार फिर अल्ताफ अकेला हो गया और साथ ही साथ हिना भी, लेकिन अल्ताफ हिना को उदास नहीं देख सकता था इसलिए अल्ताफ ने हिना से निगाह कर ली और इस तरह उसे अपनी मोहब्बत पा ही लिया

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