क्या एक वेश्या को प्यार करने का अधिकार नहीं?

क्या एक वेश्या को प्यार करने का अधिकार नहीं?


हम लोग एक वेश्या को सिर्फ गन्दी निगह से ही देखे हैं, उनकी मज़बूरी किसी को भी नहीं दिखती, लोग सिर्फ अपनी भूंक मिटाने के लिए ही उसके पास जाते हैं, लेकिन समाज से चुप कर ही इनके पास जाते हैं. जानते सब हैं, लेकिन अपना मुहं कोई नहीं खोलता. छोटे छोटे कमरे में वेश्याओं की पूरी कि पूरी जिन्दगी बीत जाती है, न तो उन्हें बाहर की दुनिया से कोई मतलब होता है और न ही कोई उन्हें अपने पास बुलाता है. जाते तो कई सारे लोग हैं वेश्याओं के पास लेकिन रात के अँधेरे में. ताकि कोई देख न लें, नहीं तो बदनामी होगी.

मर्द सिर्फ अपनी जिस्म की भूंख मिटाने के लिए ही वेश्याओं की दहली में कदम रखते हैं. वरना तो कोई झाँकने न जाए, समाज उन्हें गंदगी समझता है, ऐसे में तो उन्हें प्यार करने की इजाजत कहाँ से मिलेगी. शायद हम ये नहीं जानते की वेश्याओं के सीने में दिल भी होता है, जो धड़कता है, उनके अंदर भी भावनाएं होती हैं, लेकिन उन्हें ये सब दिखाने की इजाजत नहीं होती. आज हम आपको रेशमा की लव स्टोरी के बारे में बताएँगे, जो है तो बेहद छोटी, लेकिन सोंचने पर मजबूर करती हैं.

रेशमा पैदा ही हुई थी वेश्याओं की बस्ती पर, उसका बाप कौन हैं ये तो भगवान् ही जनता होगा, उसकी माँ को भी नहीं पता था. जब वो बड़ी हुई तो उसे भी धंधे में उतरना पड़ा. उसने बाहर की दुनिया भी नहीं देखी थी, उसे लगता था कि वो सिर्फ धंधा करने के लिए ही पैदा हुई है, एक दिन एक होटल वाले ने कई सारी लड़किओं को अपने होटल में डांस करने के लिए ले गया. रेशम भी गई हुई थी, तब वो पहली बार बाहर की दुनिया देखी थी.
कई हफ़्तों के बाद उस होटल में काम करने के दौरान रेशमा को एक लड़का अच्छा लगने लगा, ये दिल बड़ा ही नादान होता है, क्या करें. वो लड़का रोज उस होटल में आता था, शायद रेशमा को उससे प्यार हो गया था, लेकिन वो लड़का इस बात से अनजान था. कई दिनों तक रेशमा उसे देखती रही, अब तो लड़के को भी समझ में आ गया था कि एक लड़की उसे रोज देखती है.



बड़ी हिम्मत जुटा कर रेशमा एक दिन उस लड़के से बात करने के लिए उसके पास गई, लेकिन लड़के ने उसे अपने पास तक खड़े होने न दिया. साथ ही उसकी बेज्जती भी कर दी. बेचारी रेशम उस लड़के से सिर्फ अपनी दिल की बात कहना चाहती है, लेकिन उसे वो मौका भी नहीं मिला, गलती उसकी सिर्फ इतनी सी थी कि वो एक वेश्या थी. उस लड़के से सबके सामने रेशमा की बड़ी बेज्जती की, जिसको रेशमा सह नहीं पाई. और आत्महत्या कर ली. रेशमा की इज्जत उसके शरीर में नहीं बल्कि भावनाओं में थी, जिसको उस लड़के ने बड़ी ठेस पहुंचाई थी, जिसको वो सहन न कर सकी और अपनी जिन्दगी समाप्त कर ली.

काश वो लड़का उसकी दिल की बात एक बार तो सुन लेता अगर उसे नहीं सुनना था तो उसकी बेज्जती तो नहीं करनी चाहिए थी.

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