प्रेम विवाह का भूत

प्रेम विवाह का भूत


सूर्यकान्त सिंह गोरखपुर के जाने माने जमींदार थे, धीरे-धीरे जमींदारी खतम हो गयी लेकिन उनका रुतबा कम ना हुआ,ना ही जमीन. उनके एक ही बेटे थे जिनका नाम प्रेमकांत सिंह था, अपने नाम के अनुसार ही उन्होंने एक लड़की से प्रेम किया और उसी से शादी की भी, जिसे नाराज हो कर सूर्यकान्त जी ने अपने बेटे को अपने से दूर कर दिया, प्रेमकांत जी भी गोरखपुर में ही एक स्कूल के प्रिंसिपल बन गए, समाज में उनकी बहुत इज्जत की जाती थी, सरकारी नौकरी ऊपर से सूर्यकान्त जी के गुजर जाने के बाद साडी जमीन उनकी ही हो गयी. अचानक से इतनी जमीन पा कर प्रेमकांत जी की पत्नी ख़ुशी से पागल सी हो गयी,और उनका ऐश ऐसा शुरू हुआ की खतम होने के नाम ही नहीं रहा था, उनकी एकलौती बेटी जिसका नाम रश्मि था, उसका ध्यान भी कोई नहीं देता था,

प्रेमकांत जी समाज सेवा में और उनकी पत्नी ऐश में जीवन गुजार रही थी.ऐसे मैं रश्मि को देखने वाला कोई नहीं था, घर में काम करने वाली आई ही रश्मि का ध्यान रखती थी. धीरे-धीरे रश्मि बड़ी होने लगी,प्रेमकांत जी उसे गोरखपुर के सबसे अच्छे स्कूल में एडमिशन करवा दिया.छोटे सी ही क्लास से उसके प्रेम के किस्से प्रसिद्ध होने लगे, प्रेमकांत जी के बार-बार समझाने पर भी वो नहीं मान रही थी, हुआ यूँ की वो जब क्लास 7th में पहुंची तो उसे अपने ही क्लास में पढ़ने वाले लड़के जिसका नाम संजीव था,उससे प्रेम हो गया,और वो हमेशा संजीव के साथ ही नजर आती थी, चुकी स्कूल भी प्रेमकांत जी का इज्जत करता था,इसलिए पहले तो रश्मि को समझाया गया,लेकिन जब रश्मि नहीं मानी तो खबर प्रेमकांत जी को दी गयी,और प्रेमकांत जी ने अपनी बेटी को समझना चाहा लेकिन बेटी नहीं मानी तो आखिर कार थक कर एक साल के बाद उन्होंने रश्मि का एडमिशन अपने ही स्कूल में करवा दिया,


 नए दोस्त के बनने से रश्मि संजीव को भूल गयी और दूसरे स्कूल में नए दोस्त बना ली, जो रश्मि संजीव के बिना जी नहीं सकती थी देखते ही देखते दूसरे स्कूल में आने के बाद उसे भूल गयी, ये भी कह सकते थे की रश्मि का बचपना था ,या घर में प्यार ना मिलने की वजह से वो प्यार की तलाश घर से बाहर करने लगी थी,चाहे कुछ भी प्रेमकांत जी ने सोचा अपने स्कूल में एडमिशन करवाया है तो अपने नजर के सामने रहेगी तो ऐसा कुछ नहीं करने देंगे. लेकिन रश्मि कहाँ मानने वाली थी साल के अंत-अंत जाते-जाते उसने अपना नया प्रेमी बना ही लिया था, अब वो क्लास 10th में पहुंच चुकी थी, प्रेमचंद जी ने एक बार फिर अपनी बेटी को समझाया लेकिन रश्मि मानने वाली नहीं थी,उसे तो उस लड़के से सच्चा प्यार हो गया था,प्रेमकांत जी ने लड़के के बारे में पता किया तो पता चला उसका नाम पंकज है,

 उन्होंने पंकज को बुला कर समझाया की स्कूल में उसकी वजह से बदनामी हो रही है,ऐसा करने पर उसे स्कूल से निकल दिया जायेगा. पंकज डर गया और वो रश्मि से दूर रहने लगा,लेकिन रश्मि कहाँ मानने वाली थी, उसने पंकज को पास के मंदिर में ले जा कर उससे शादी कर ली, अब तो प्रेमकांत जी अपना सर पिट लिए ,उनके ही स्कूल में उनकी बदनामी होने लगी,सभी कहने लगे की उनकी बेटी ने अपने ही क्लास में पढ़ने वाले लड़के से शादी कर ली. जैसे-तैसे 10th का परीक्षा देने के बाद उन्होंने रश्मि को बनारस भेज दिया और साथ ही साथ अपने स्कूल में लड़कियों का एडमिशन भी लेना बंद कर दिया. मतलब साफ़ था की वो नहीं चाहते थे



की उनकी बेटी जैसी कोई और घटना हो इसलिए स्कूल को सिर्फ लड़को के लिए बना दिया गया, खैर बनारस जाने के बाद एक बार फिर रश्मि पंकज को भी भूल गयी और ये भी भूल गयी की उसने उसके साथ शादी की थी. बनारस में वो जिस कॉलेज में पढ़ती थी, उसके साथ ही पढ़ने वाला रंजन उस पर फ़िदा हो गया,और वो रश्मि को इम्प्रेस करने लगा,देखते-देखते 2 साल बीतने वाले थे,एक दिन रंजन ने रश्मि को बताया की वो उससे बहुत प्यार करता है उसके बिना जिन्दा नहीं रह सकता, जिसे सुन कर रश्मि ने भी अपने प्यार का इजहार रंजन से कर दिया,एक बार फिर बनारस के मंदिर में रंजन और रश्मि ने शादी कर ली,

और ये बात जब प्रेमकांत को पता चली तो उन्होंने रश्मि का एडमिशन दिल्ली में करवा दिया,एक बार फिर बड़े शहर में पहुंच कर रश्मि का दिमाग भी बड़ा हो गया, वो दिल्ली के कॉलेज में पढ़ कर बहुत खुश हुई,और नया माहौल पा कर वो रंजन को भी भूल गयी.

पढ़ाई के दौरान ही उसे एक बार फिर अपने क्लास में पढ़ने वाले रोहित नाम के लड़के से प्यार हो गया. धीरे-धीरे ये प्यार इतना गहरा हो गया की दोनों ने कॉलेज छोड़ते ही शादी कर ली अब ये बात जब प्रेमकांत जी को पता चली तो एक बार फिर उन्होंने अपना अप्प्रोच लगा कर रश्मि का एडमिशन पुणे के एक कॉलेज में एमबीए कोर्स में करवा दिया. जहाँ एक बार फिर वो रोहित से शादी की बात भूल गयी और पुणे की हो कर रह गयी. पूरा कोर्स खत्म होते होते एक बार फिर रश्मि ने अपने साथ पढ़ने वाले लड़के जिसका नाम अमित था,


उससे शादी कर ली, अब तो प्रेमकांत जी और परेशान उन्हें समझ नहीं आ रहा था की जहाँ भी वो अपनी बेटी को पढ़ने भेजते थे वहीँ वो शादी कर लेती थी,आखिर ये कैसा प्रेम विवाह का भूत उसके सर पर चढ़ा हुआ था,उनकी समझ में नहीं आ रहा था.आखिर कार उन्होंने रश्मि को वापस गोरखपुर बुला लिया और उससे बोला,अगर तुम्हे शादी ही करनी है तो यहीं के जमींदार सूरजभान सिंह के बेटे नीरज के साथ कर लो, वो लड़का भी अच्छा है और तुम्हे बहुत प्यार करने के साथ साथ तुम्हे बहुत खुश भी रखेगा, साथ ही साथ उनके पास हमारी ही तरह बहुत जमीन और पैसा है,तुम रानी बन कर रहोगी. रश्मि मान गयी और उसने नीरज से शादी करने की हामी भर दी,

 इधर अमित रश्मि से लगातार बात करने की कोशिश कर रहा था,लेकिन उससे बात नहीं हो पा रही थी, अमित ने रश्मि का पता लगाने के लिए गोरखपुर पहुंचा तो उसे पता चला की रश्मि नीरज से शादी कर रही है,उसे बहुत बुरा लगा, उसका दिल रोने लगा,तभी उसे पता चला की जब वो गोरखपुर में पढ़ती थी तो उसने यहाँ भी पंकज नाम के लड़के से शादी की थी,अब तो अमित पंकज का पता लगाया,और जब उससे बात की तो उसे पता चला की उसने बनारस में रंजन नाम के लड़के के साथ शादी की थी,

 दोनों बनारस पहुंचे और रंजन का पता लगाया,फिर उन्हें पता चला की उसने दिल्ली में ही किसी से शादी की थी,फिर तीनो दिल्ली पहुंचे और वहां पता चला की वहां उसने रोहित से शादी की थी, फिर तीनो ने रोहित का पता लगाया,और बाद में चारो गोरखपुर पहुंचे जहाँ रश्मि नीरज से शादी कर रही थी, चारो को देख कर रश्मि का हालत खराब हो गया,और शादी के माहौल में चारो ने काफी हंगामा किया,लेकिन प्रेमकांत ने जैसे-तैसे करके बात को रफा-दफा किया,अब तो नीरज को रश्मि की साडी सच्चाई पता चल चुकी थी,

लेकिन प्रेमकांत जी की आन-बान और शान देख कर वो चुप रह गया और इस तरह अंत में रश्मि की शादी नीरज के साथ हो गयी, और रश्मि के दिमाग से प्रेम विवाह का भूत भी उतर गया.

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