टीचर और जवान स्टूडेंट का सच्चा प्यार

टीचर और जवान स्टूडेंट का सच्चा प्यार



ईगो अपने आप में ही एक पहचान बन जाता है, और जब एक ईगो दुसरे से टकराता है तो बहुत कुछ होता है. कभी कभी ऐसा टीचरों से सामना हो जाता है, जो बेहद स्टिक होते हैं, जो अनुशासन से समझौता नहीं करते. वहीं कुछ ऐसे भी स्टूडेंट होते हैं, जिनकी डिक्सनरी में अनुशासन शब्द ही नहीं होता, वो अपने मर्जी के मालिक होते हैं. अलका भी कुछ इसी प्रकार की स्टूडेंट थी, न तो वो कभी टाइम पर कॉलेज आती और न ही टाइम पर क्लास में जाती.

रोहन सर बेहद स्टिक थे, वो वक्त के बेहद पाबन्द थे. उनकी क्लास में जो भी देर से आता वो उसे क्लास में बैठे नहीं देते थे. अलका को अक्सर उनकी क्लास में बाहर ही रहना पड़ता था. कभी दोनों के बीच तकरार भी हो जाती थी. कॉलेज के लोग कहते थे कि रोहन सर इतने ज्यादा स्टिक है कि कोई भी लड़की उनसे शादी तक नहीं करना चाहती, और सर अपने अकेले पन का गुस्सा हम बच्चों पर निकालते हैं. कॉलेज के बच्चे उन्हें पसंद नहीं करते थे, लेकिन अलका उन्हें पसंद करती थी. रोहन का ईगो ही उसे अच्छा लगता था. एक दिन आचानक से रोहन सर ने कॉलेज आना बंद कर दिया. किसी को उनके बारे में कोई भी जानकारी नहीं थी. कॉलेज का प्रशासन किसी को भी कुछ भी बताने से बच रहा था. अलका बेहद परेशान थी, कैसे तैसे उसने रोहन सर के बारे में पता कर लिया. रोशन सर को ब्रेन टयूमर था. डॉक्टर ने उन्हें आराम करने को कहा था और उनकी नेचुरल थेरेपी के लिए बोला था, जिससे वो ठीक हो सकते थे. रोहन सर अकेले रहते थे, उनका ख्याल कौन रखता. अलका ने रोहन सर की देख रेख करने का फैसला किया. लेकिन रोहन सर नहीं मान रहे थे.



उनका ईगो बीच में आ रहा था. रोहन सर को किसी कि मदद लेना अच्छा नहीं लगता था. लेकिन उनकी हालत इतनी ज्यादा ख़राब थी कि वो कुछ कर भी नहीं सकते थे. धीरे धीरे उन्हें समझ में आने लगा कि उन्हें किसी सहारे की जरूरत है, जो अलका कर रही थी वो ठीक है. अलका ने भी जी जान से रोहन सर की देख रेख की. कुछ दिन के बाद जब दोबारा डॉक्टर ने चेक किया तो उनकी तबियब में सुधर आया था.
अब धीरे धीरे रोहन सर ठीक होने लगे थे और उनकी अलका ने अच्छी बनने लगी थी. शायद रोहन सर को भी अलका से प्यार हो गया था, क्योंकि अलका ने ही उन्हें जीना सिखाया था.

छह महीने में रोहन सर बिलकुल ठीक हो गए थे. अब वो कॉलेज जाने वाले थे, कॉलेज में उन्हें बच्चों को अपने संघर्ष के बारे में बताना था कि कैसे वो इस बीमारी से ठीक हुए इसके लिए कॉलेज में एक सेमिनार का आयोजन किया गया था.

अलका के रोहन सर के पास गई और बोली की आज के मेरा काम खत्म, लेकिन रोहन सर ने कहा एसा नही हो सकता, तुम यहाँ अपनी मर्जी से आई थी, लेकिन जाओगी हमारी मर्जी से. अलका को कुछ समझ में नहीं आया. रोहन सर ने अलका से जिन्दगी भर का साथ निभाने के लिए बोल दिया, और अलका ने ख़ुशी ख़ुशी हाँ बोल दिया. अलका ने बताया कि वो कॉलेज के टाइम से उन्हें पसदं करती थी. अलका ने रोहन सर को शाम को अपने घर पर बुलाया शादी की बात करने के लिए और अलका वहां से कॉलेज चली गई. रास्ते में अलका का रोड एक्सीडेंट हो गया तो उसकी वहीं मौत हो गई. दो प्यार करने वाले मिलने से पहले ही बिछड़ गए. अलका के जाने के गम में रोहन सर ने पढाना छोड़ दिया और अलका के नाम से एक किताब लिखी, जिसमें अलका के बारे में लिखा हुआ था. आज भी वो अलका की यादों में खोये रहते हैं.


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