क्या यह प्यार है

क्या यह प्यार है


हम एक से बढ़कर एक लव स्टोरी प्रकाशित करते हैं। पेश है इसी कड़ी में आज हम “क्या यह प्यार है” प्रकाशित कर रहे हैं . आशा है आपको ये Story पसंद आएगी
मैं इंदौर में रह कर पढ़ाई करता था, मैं अकेला ही रहता था, मेरे घर में सिर्फ मेरे पापा थे, मम्मी पहले ही गुजर चुकी थी. पापा भी जॉब में थे, वो भोपाल में बैंक में अधिकारी थे, चूँकि पापा की पोस्टिंग पहले इंदौर में थी इसलिए मैं इंदौर के कॉलेज में ही एडमिशन करवा लिया था, बाद में पापा का ट्रांसफर भोपाल हो गया तो वो वहां चले गए और मैं घर में अकेला ही रह गया. मैं रोज समय से कॉलेज जाता और वापस घर आ जाता, फिर शाम को बाइक ले कर घर के सामान के लिए बाजार निकल जाता, उसी समय बाहर ही कुछ खा लेता था. घर से ही मैं रोज लंच ले जाया करता था, और कॉलेज में लंच के समय खाता था, हलाकि कॉलेज में कैंटीन थी लेकिन मुझे कैंटीन का खाना कभी पसंद नहीं आया, इसलिए घर से ही लंच ले जाया करता था, घर पर मैड आती थी, जो दोनों समय का खाना बनाती थी. एक दिन मैड नहीं आयी उसकी तबियत खराब हो गयी, मैं बिना खुश खाये कॉलेज आ गया, लंच के समय भी अपने सीट पर ही बैठा हुआ था, और किताबे पढ़ रहा था, क्लास में और पढ़ने वाले लड़के केंटीन जा चुके थे, तभी पायल ने मुझे बिना खाना कहते हुए देखा तो उसने पूछा,आज लंच नहीं लाये, इस पर मैंने कहा, आज मैड नहीं आयी, इसलिए घर में खाना नहीं बना. पायल ने पूछा, फिर तो सुबह भी कुछ नहीं खाया होगा? मैंने ना में सर हिला दिया, पायल मेरे क्लास में ही पढ़ती थी, क्लास की सारी लड़कियां लंच के समय कॉमन रूम चली जाती थी, जहाँ वो सभी लंच किया करती थी,

चूँकि में अपने ही क्लास रूम में लंच करता था तो सभी को मालूम था की मैं रोज लंच लाता हूँ, और कैंटीन का खाना नहीं खाता . पायल ने मेरी तरफ देखा और अपना टिफिन देते हुए कहा की मैं खा लू, मेरे बार बार मना करने के बाबजूद भी उसने अपना टिफिन मुझे दे दिया, मैंने उससे पूछा फिर वो क्या खायेगी, इस पर पायल ने बताया की वो कॉमन रूम जा कर खा लेगी, और भी लड़कियां लंच लायी होगी , इसलिए वह खा लेगी. फिर वह कॉमन रूम चली गयी, मुझे भी भूख बहुत तेज लगी हुई थी, इसलिए मैंने पायल का दिया हुआ टिफिन खा लिया, खाना बहुत ही स्वादिस्ट था, काफी दिनों के बाद ऐसा खाना खाया था, मैड तो जैसे तैसे खाना बना देती थी, चूँकि पेट भरना जरुरी है इसलिए मैं खाना खाता था लेकिन उसके खाने में वो टेस्ट कहाँ, जो आज पायल के खाने में था. खैर मैंने टिफिन खा कर टिफिन धो दिया और उसके सीट पर रख दिया. अगले दिन फिर मैड नहीं आयी, पूछने पर पता चला की मैड को बुखार आ गया है इसलिए वह कुछ दिन नहीं आएगी, अब तो मैं परेशां हो गया, मुझे खुद खाने का समस्या हो गया था, अगले दिन मुझे चुप चाप बैठा देख पायल समझ गयी, उसने बोलै आज भी मैड नहीं आयी, मैंने ना में सर हिला दिया और बोला की उसे बुखार आ गया है वह कुछ दिन नहीं आएगी, इस पर पायल ने फिर से अपना टिफिन मुझे दे दिया. और कॉमन रूम चली गयी,अगले दिन पायल ने दो टिफिन निकला एक टिफिन मुझे दिया और एक टिफिन खुद ले कर कॉमन रूम चली गयी. अब कुछ दिन ऐसा ही चला. मुझे पायल का यह स्वभाव बहुत पसंद आया, इतनी लड़कियों में भी सिर्फ पायल ही थी जो अपना टिफिन मुझे दे रही थी, मैं पायल के करीब आने की कोशिश करने लगा, यह बात पायल को भी पता चल गयी और वो भी मुझे अपने करीब आने दी.फिर मैं पायल से कब प्यार करने लगा मुझे खुद पता नहीं चला, पायल भी मुझसे प्यार करने लगी, अब जब भी फ्री समय मिलता था हम दोनों साथ रहते थे, मैं कॉलेज भी समय से पहले जाने लगा और पायल मुझसे भी पहले पहुंच कर मेरा इंतजार करते हुए नजर आती. ऐसा नहीं था की हम दोनों एक दूसरे से प्यार ही करते थे, बल्कि हम दोनों अक्सर झगड़ा भी करते रहते थे और मैं तो जानबूझ कर करता क्यों की उसका मनाना मुझे बहुत ही अच्छा लगता था. जब वह सर झुकाकर सॉरी बोलती तो उसके चहरे का मासूमियत देखकर मुझे हँसी आ जाती. उसे झट से गले लगा लेता.




“कोई इतना प्यार भी करता है किसी से.” जब मैं पूछता तो उसका एक ही जवाब होता –“मैं किसी और के बारे में नहीं जानती हूँ. मेरे लिए तुम ही सब कुछ हो. तुम्हारे बिना मैं इस जीवन की कल्पना से कांप जाती हूँ. तुम नहीं तो कुछ भी नहीं मेरा इस संसार में.”
“मैं भी तुम्हारे बिना नहीं रह पाउँगा. तुम मुझे छोड़ कर तो नहीं जाओगी न.” मुझे इस बात का एहसास था की पायल जितना प्यार करने वाली लड़की मुझे कभी नहीं मिलेगी. मैं भी उसे खोने से डरता था.इतना प्यार हम दोनों एक दूसरे से कब करने लगे हमे खुद ही नहीं पता चला, लेकिन यह तय था की मैं पायल से बहुत ज्यादा प्यार करता था, उसका मेरे लिए प्यार, उसका मुझे केयर करना मुझे बहुत अच्छा लगता और उसके और करीब लाता गया.
एक दिन की बात है. मैं उस दिन कॉलेज नहीं गया था. मुझे बुखार आ रहा था. कुछ देर बाद पायल का कॉल आ गया. मैं उसे बताया की मुझे बुखार आ रहा है.हलाकि मैं उसे बताना नहीं चाह रहा था, क्योंकि मुझे पता था वह क्लास छोड़ कर चली आएगी और हुआ भी यही कुछ ही देर बात वह मेरे पास थी. प्रश्न पर प्रश्न होने लगे. दवा लिया? खाना खाया? मुझे पहले बताया क्यों नहीं? मैं मन-ही-मन सोचता ऐसी बुखार तो रोज आये. इतना प्यार इतनी सेवा मिले तो हर दुःख मंजूर है. ऐसा प्यार नसीबो से मिलता है. वह नसीब मेरे साथ था. मुझे बुखार आया है,यह बात मेरे पापा को भी पता चली तो वो भी भोपाल से इंदौर चले आये, लेकिन जब उन्हें पता चला कि पायल मेरा ख्याल रख रही है, और मेरी सेवा कर रही है, और इतना प्यार देख कर मेरे पापा मुझसे बोले – “तू उस से शादी कर ले.” मैं भी यही सोच रहा था. क्योंकि मैं भी उसके बिना नहीं रहा सकता था. वही सब कुछ थी. मैं उसे के बारे में सोचता रहता. और उसी से शादी के सपने देखता.मैंने तय कर लिया कि पढ़ाई खत्म होने के बाद मैं उससे शादी कर लूंगा, पापा कि भी इजाजत मिल चुकी थी, इसलिए मैं खुश था.ऐसे ही हमारा प्यार चलता रहा, लेकिन पता नहीं हमारे प्यार को किसी कि नजर लग गयी, और एक दिन अचानक पायल का कॉल आया और बोली – “मैं तुमसे प्यार नहीं करती हूँ. मुझे कॉल मत करना. मुझसे मिलने की कोशिश मत करना.” इतना कहकर उसने कॉल कट दिया. मैंने भी उसे कॉल नहीं किया सोचा मजाक कर रही है. इतना सीरियस तो कभी नहीं होती है. मुझे उसका इस तरह के गुस्सा पसंद आता था. बहु अच्छा लगता था जब वह गुस्सा होकर बोलती थी.एक दिन बीत गया, फिर दो दिन,ऐसे ही 5 दिन बीत गये. उसका कॉल नहीं आया. मैं कॉल करता तो उसका मोबाइल स्विच ऑफ आता. मैं बहुत ही परेशान हो गया. एक तो 5 दिन से बात नहीं हुई थी दूसरा पता नहीं क्या प्रॉब्लम आ गई की कॉल नहीं कर रही है. आज तक ऐसा नहीं हुआ. वह खुद कभी इतना दिन तक नहीं रही. 2 घंटे कॉल नहीं जाये तो कॉल पर कॉल करने लगती थी. मेरे समझ में नहीं आ रहा था की क्या करे. बहुत सोचने पर भी कुछ रास्ता नहीं निकला. बस एक ही रास्ता था उसके घर जाकर पता करना. मैं तुरंत ही बाइक निकला और उसके घर के तरफ चल दिया.उसके घर पंहुचा तो उसके पापा मिल गये. “कौन हो आप.” उसके पापा ने मुझसे पूछा.“जी मैं पायल का दोस्त हूँ. पायल से कुछ काम है.” मैं उनसे कहा तब तक पायल आती हुई दिख गई.
उसके पापा ने पायल से पूछा –“कौन है यह? तुमसे मिलने के लिए आया है.”
“कौन है यह? मैं नहीं जानती इसे.” पायल ने मेरे तरफ देखते हुए कहा. उसका चेहरा बिलकुल अनजाने की तरह लग रहा था. जैसे वो मुझे जानती ही नहीं हो. मैं उसके चहरे के तरफ देख रहा था. यह क्या बोल रही? मुझे नहीं जानती यह! तो वह सब क्या था? सारे झूठे थे? वह प्यार झूठा था? वह साथ झूठा था? मैं आसू लिए आखो से उसे देखा. एक बेरुखा सा चेहरा देखा, एक अनजान बनती आँखे.मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर उसने मेरे साथ ऐसा क्यों किया? क्यों उसने मेरे साथ प्यार किया? क्यों उसने मेरा दिल तोडा? मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था, आखिर क्यों उसने ऐसा किया ? इस क्यों का जवाब मुझे नहीं मिल रहा था. मैं बहुत देर तक शून्य में खोया रहा लेकिन मेरी समझ में कुछ नहीं आया, मैं बिलकुल अकेला सा ठगा सा महसूस कर रहा था. जो लड़की मेरे बिना नहीं रहती थी वो मेरे बिना रह रही है. उसका कमजोरी था, मैं उसका सपना था. और सबकुछ छोड़ दी. मुझे रोते हुए अकेला छोड़ गई. उस रास्ते पर जहाँ से हमने साथ चला था. मैंने पायल के साथ बहुत सारे सपने देखे थे,बहुत सारे अरमान संजोये थे, सारे के सारे धरे के धरे रह गए, मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था आखिर मेरा कसूर क्या था? उसने कुछ नहीं बताया, मैं इंदौर से भोपाल पापा के पास आ गया, पापा ने मेरे मन को पढ़ लिया, उसने मुझे बहुत समझाया लेकिन मैं तो सिर्फ पायल के ख्यालो में खोया रहता था, पायल मेरी जिंदगी बन चुकी थी. कुछ दिनों में कॉलेज में फाइनल परीक्षा होने वाले थे इसलिए मैं इंदौर चला आया और परीक्षा देने लगे, परीक्षा के दौरान मेरी आँखें पायल को ढूंढ रही थी, और मुझे पायल मिल गयी, मैं पायल से सिर्फ और सिर्फ इतना पूछना चाहता था कि आखिर उसने ऐसा क्यों किया मेरा दिल क्यों तोडा? लेकिन पायल मुझे बात करने का कोई मौका नहीं दे रही थी, परीक्षा के अंतिम दिन आखिर मैंने पायल को पकड़ कर पूछ ही लिया आखिर उसने ऐसा क्यों किया? तो उसने बताया कि उसकी शादी उसके पापा ने कहीं और तय कर दी है और कुछ दिनों में उसकी शादी होने वाली है, यह बोल कर वह चली गयी और मैं अकेला रह गया…………

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