एक दोस्ती का सफर प्यार तक
एक दोस्ती का सफर प्यार तक
स्वेता लखनऊ में अपने माता पिता के साथ रहती है, उसके दो छोटे भाई भी रहते हैं, एक भाई का नाम अभिषेक है तो दूसरा का नाम अभिनव. उस समय मैं स्वेता के पड़ोस में ही रहा करता था, हलाकि पडोसी होने के नाते मेरा स्वेता के परिवार के साथ अच्छा सम्बन्ध था,साथ ही स्वेता हमउम्र भी थी, इसलिए मेरे और स्वेता में दोस्ती भी थी, लेकिन मैंने कभी स्वेता को दोस्त से ज्यादा नहीं समझा, कुछ ऐसा ही स्वेता के साथ भी था, वो भी मुझे अपना अच्छा दोस्त ही मानती थी. फिर अभिषेक का एडमिशन इंजीनियरिंग कॉलेज में हो गया और वह लखनऊ से हॉस्टल चला गया, अब स्वेता और उसका छोटा भाई अभिनव रह गया, अभिनव सिविल सरविजेज की तैयारी करने लगे. वह काफी मेहनत कर रहा था, साथ ही साथ उसने एक इंस्टिट्यूट भी ज्वाइन कर लिया. इंस्टिट्यूट में उसी के साथ दीपक नाम का लड़का भी पढता था, वह हमेशा अभिनव के घर आया जाया करता था, हलाकि दीपक अभिनव से उम्र में बड़ा था लेकिन दोनों की काफी अच्छी जमती थी, दीपक के अभिनव के घर आने जाने से दीपक काफी खुल गया था, मतलब उसे अभिनव के घर वाले पसंद करते थे, धीरे-धीरे दीपक स्वेता से बात करने लगा और स्वेता के करीब जाने की कोशिश करने लगा, यह बात न यही स्वेता को और ना ही अभिनव या उसके माता पिता को पता चली.वह कब स्वेता के करीब होने लगा यह बात किसी को पता नहीं चली, लेकिन स्वेता ने कभी दीपक को अभिनव के दोस्त के आलावा कुछ नहीं समझा, वह दीपक से बात तो करती थी लेकिन अभिनव का दोस्त ही मान कर. लेकिन दीपक स्वेता को पसंद करने लगा था, और उसके और करीब जाने की कोशिश करने लगा, स्वेता बहुत ही सुन्दर थी, उसकी खूबसूरती आस पास के लोगो में भी फैली हुई थी, यह बात स्वेता को भी पता था, क्योँकि वह जब भी जॉब के लिए घर से निकलती, सभी लड़के आँहें भरा करते थे, यह बात मुझे भी मालूम थी, लेकिन स्वेता सिर्फ और सिर्फ अपने जॉब पर फोकस किया करती थी, कोई उससे इधर उधर की बात करता तो वह बहुत गुस्सा हो जाती थी,

उसे प्यार मोहब्बत की बातें बिलकुल पसंद नहीं थी, वह अपना पूरा ध्यान अपने परिवार और जॉब में लगाया करती थी, क्योंकि वह जिस इंस्टीटूट में जॉब करती थी, वहां वह रोज प्यार के नाम पर सिर्फ और सिर्फ मजे लेने की बात सुना करती थी, इसलिए उसे प्यार पर भरोसा नहीं था, उसने सोच लिया था की उसके मम्मी-पापा जिससे उसकी शादी करेंगे उसी से वह शादी करेगी, इसलिए वह कभी किसी लड़के की तरफ नहीं देखा करती थी, हलाकि दीपक लगातार कोशिश कर रहा था, की वह स्वेता के करीब जा सके, लेकिन स्वेता कभी भी दीपक के करीब नहीं गयी, एक बार दीपक के पिता ने अपने बेटे की शादी के लिए स्वेता के पिता से बात की, यह बात जब स्वेता को पता चली तो उसने मना कर दिया, अब दीपक अभिनव से पैरवी लगाने लगा, अभिनव अपनी बहन स्वेता को समझाने लगा की दीपक अच्छा लड़का है वह शादी करके खुश रहेगी,क दीपक किआ परिवार भी अच्छा है, अब स्वेता को समझ आने लगा की दीपक उसकी ही खातिर अभिनव से दोस्ती की और उसके घर आने लगा, और वह अभिनव से नहीं उससे मिलने आया करता था, वह अब समझ चुकी थी थी दीपक उसके लिए ही उसके घर आता था, यह बात स्वेता को अच्छी नहीं लगी और उसने दीपक को अपने घर आने से मना कार५ दिया और अभिनव को भी दीपक से दोस्ती तोड़ लेने की सलाह दी, भला अभिनव अपनी बहन की बात कैसे नहीं मनाता और सुईं दीपक से दोस्ती तोड़ लिया और दीपक चाह कर भी कुछ नहीं कर पाया……….. इस तरह उसका प्यार जो दोस्ती से शुरू हुआ था, आखिर में दोस्ती पर टूट कर रह गया…….
स्वेता लखनऊ में अपने माता पिता के साथ रहती है, उसके दो छोटे भाई भी रहते हैं, एक भाई का नाम अभिषेक है तो दूसरा का नाम अभिनव. उस समय मैं स्वेता के पड़ोस में ही रहा करता था, हलाकि पडोसी होने के नाते मेरा स्वेता के परिवार के साथ अच्छा सम्बन्ध था,साथ ही स्वेता हमउम्र भी थी, इसलिए मेरे और स्वेता में दोस्ती भी थी, लेकिन मैंने कभी स्वेता को दोस्त से ज्यादा नहीं समझा, कुछ ऐसा ही स्वेता के साथ भी था, वो भी मुझे अपना अच्छा दोस्त ही मानती थी. फिर अभिषेक का एडमिशन इंजीनियरिंग कॉलेज में हो गया और वह लखनऊ से हॉस्टल चला गया, अब स्वेता और उसका छोटा भाई अभिनव रह गया, अभिनव सिविल सरविजेज की तैयारी करने लगे. वह काफी मेहनत कर रहा था, साथ ही साथ उसने एक इंस्टिट्यूट भी ज्वाइन कर लिया. इंस्टिट्यूट में उसी के साथ दीपक नाम का लड़का भी पढता था, वह हमेशा अभिनव के घर आया जाया करता था, हलाकि दीपक अभिनव से उम्र में बड़ा था लेकिन दोनों की काफी अच्छी जमती थी, दीपक के अभिनव के घर आने जाने से दीपक काफी खुल गया था, मतलब उसे अभिनव के घर वाले पसंद करते थे, धीरे-धीरे दीपक स्वेता से बात करने लगा और स्वेता के करीब जाने की कोशिश करने लगा, यह बात न यही स्वेता को और ना ही अभिनव या उसके माता पिता को पता चली.वह कब स्वेता के करीब होने लगा यह बात किसी को पता नहीं चली, लेकिन स्वेता ने कभी दीपक को अभिनव के दोस्त के आलावा कुछ नहीं समझा, वह दीपक से बात तो करती थी लेकिन अभिनव का दोस्त ही मान कर. लेकिन दीपक स्वेता को पसंद करने लगा था, और उसके और करीब जाने की कोशिश करने लगा, स्वेता बहुत ही सुन्दर थी, उसकी खूबसूरती आस पास के लोगो में भी फैली हुई थी, यह बात स्वेता को भी पता था, क्योँकि वह जब भी जॉब के लिए घर से निकलती, सभी लड़के आँहें भरा करते थे, यह बात मुझे भी मालूम थी, लेकिन स्वेता सिर्फ और सिर्फ अपने जॉब पर फोकस किया करती थी, कोई उससे इधर उधर की बात करता तो वह बहुत गुस्सा हो जाती थी,

उसे प्यार मोहब्बत की बातें बिलकुल पसंद नहीं थी, वह अपना पूरा ध्यान अपने परिवार और जॉब में लगाया करती थी, क्योंकि वह जिस इंस्टीटूट में जॉब करती थी, वहां वह रोज प्यार के नाम पर सिर्फ और सिर्फ मजे लेने की बात सुना करती थी, इसलिए उसे प्यार पर भरोसा नहीं था, उसने सोच लिया था की उसके मम्मी-पापा जिससे उसकी शादी करेंगे उसी से वह शादी करेगी, इसलिए वह कभी किसी लड़के की तरफ नहीं देखा करती थी, हलाकि दीपक लगातार कोशिश कर रहा था, की वह स्वेता के करीब जा सके, लेकिन स्वेता कभी भी दीपक के करीब नहीं गयी, एक बार दीपक के पिता ने अपने बेटे की शादी के लिए स्वेता के पिता से बात की, यह बात जब स्वेता को पता चली तो उसने मना कर दिया, अब दीपक अभिनव से पैरवी लगाने लगा, अभिनव अपनी बहन स्वेता को समझाने लगा की दीपक अच्छा लड़का है वह शादी करके खुश रहेगी,क दीपक किआ परिवार भी अच्छा है, अब स्वेता को समझ आने लगा की दीपक उसकी ही खातिर अभिनव से दोस्ती की और उसके घर आने लगा, और वह अभिनव से नहीं उससे मिलने आया करता था, वह अब समझ चुकी थी थी दीपक उसके लिए ही उसके घर आता था, यह बात स्वेता को अच्छी नहीं लगी और उसने दीपक को अपने घर आने से मना कार५ दिया और अभिनव को भी दीपक से दोस्ती तोड़ लेने की सलाह दी, भला अभिनव अपनी बहन की बात कैसे नहीं मनाता और सुईं दीपक से दोस्ती तोड़ लिया और दीपक चाह कर भी कुछ नहीं कर पाया……….. इस तरह उसका प्यार जो दोस्ती से शुरू हुआ था, आखिर में दोस्ती पर टूट कर रह गया…….
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