एक चोरनी की अनोखी प्रेम कथा

एक चोरनी की अनोखी प्रेम कथा


प्यार करने के लिए जाति,धर्म, अमीरी, गरीबी, काला, गोरा ये सब मायेने नहीं रखती, ये सब बातें नैतिक शिक्षा की किताबों में ही अच्छी लगती है, असल जिन्दगी में ये लागू करना किसी पहाड़ को खोदे जैसा मुशिकल काम है, जो ये पहाड़ खोद ने की कोशिश करते हैं, या तो समाज उन्हें मार देता हैं यह उसे तो समाज उसे जीने ही नहीं देता.

अगर किसी ऊँची जाति की लड़की से किसी नीची जाति के लड़के ने प्यार कर लिया तो समाज इस प्यार को स्वीकार नहीं करता, पहले तो लड़के को समझाया जाता है, अगर नहीं मना तो उसकी लाश किसी जगह पड़ी मितली है. यह ही सच्चाई है, और ये सब जानते हैं, फिर भी वो प्यार करने की इस बॉर्डर को पार करने की जुर्रत करते हैं, किसी किसी को कामयाबी मिल जाती है, तो कोई असफल हो जाता है. मैंने भी यही जुर्रत की, और मैं सफल भी हुआ, लेकिन ये रास्ता बेहद कठिनाइयों से भरा होता है.

बात उन दिनों की है, जब मेरी नई नई नौकरी लगी थी, मैं रोज सुबह मेट्रो से ऑफिस जाता और शाम होने ही अपने घर आ जाता, हफ्ते के पांच दिन काम करता, एक दिन सोता और एक दिन घर की सफाई करता. यही जिन्दगी जी रहा था मैं. लेकिन एक दिन मेरी जिन्दगी बदल गई.

मैं रोज की तरह मेट्रो स्टेशन में खड़ा था, तभी मेरे से एक लड़की टकराई और मुझे सॉरी बोल कर चली गई. मुझे कुछ अजीब लगा, जैसे ही मैंने अपने जेब चेक की तो पता चला कि उस लड़की ने मेरा पर्श चोरी कर लिया है.

मैं तुरंत उसी तरफ चल पड़ा, जिस और वो लड़की गई थी. मेरे पर्श में जीपीएस था, तो उससे ट्रैक कर मैं उस लड़की के ठिकाने तक पहुँच गया. जैसे है मैं वहां गया, मेरे तो होश ही उड़ गए, वो बेचारी लड़की कई सारे गरीब बच्चों को खाना खिला रही थी. जब मैं उसके पास गया तो वो वहां से भागने लगी, मैंने उसे पकड़ लिया, उसने मुझे मेरे पर्श वापस कर दिया, लेकिन मैं पर्श के सारे पैसे उसे दे दिए, वो दिखने में कोई खास नहीं थी, लेकिन उसका दिल बहुत ही खुबसूरत था. जब उसने अपनी सच्ची बताई, तो मेरा दिल भर आया, उसी मां बहुत पहले ही गुजर गई थी, उसका बाप दिनभर बीमार पड़ा रहता है, उसके उपर कई सारी जिम्मेदारी थीं. इस बावजूद तो कई सारे बेसहारा बच्चों की देख रेख करती उनको स्कूल भी भेजती, पता नही मुझे क्या हो गया था, मैंने चुपचाप वापस अपने कमरे आ गया.

उस दिन मुझे रात भर नींद नहीं आई, मैं सोंच रहा था कि हमारे पास सब कुछ है, लेकिन हम लोग सिर्फ अपने बारे में ही सोंचते हैं, और एक वो लड़की जिसके पास कुछ भी नहीं फिर भी वो दूसरों के बारे में सोंचती है. अब मैं रोज उसके पास जाने लगा, और उसे पैसे देने लगा, मैं भी उसकी मदद करने लगा, मुझे उससे प्यार हो गया था, लेकिन मुझे इसके बारे में पता ही नहीं था. जब भी मैं उससे नहीं मिलता तो मुझे आजीब सा लगता, जब तक मैं उसे देख न लूँ मुझे चैने ही नहीं आता था. शायद यही प्यार था. मुझे उसके लिए फिर्क्र और उसे मेरे लिए फिर्क्र. जब मैंने अपने घर वालों से उसके बारे में बात की तो सब ने मुझे खूब चिल्लाया, लेकिन मैंने किसी की नहीं सुनी और उससे शादी कर ली. इसका नतीजा ये निकला कि मुझे समाज ने निकला दिया और घर वालों रिश्ते दारों ने मुझे अपनी जिन्दगी से ही निकाल दिया.




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