शिवरात्रि क्यों मनाते हैं,महाशिवरात्रि कथा,महाशिवरात्रि का उपवास किस दिन करे। शिवरात्रि का महत्व,

शिवरात्रि क्यों मनाते हैं,महाशिवरात्रि कथा,महाशिवरात्रि का उपवास किस दिन करे। शिवरात्रि का महत्व,


इस वर्ष महाशिवरात्रि 13 और 14 फरवरी 2018 दोंनो दिन मनाई जाएगी, ये आपके भौगोलिक स्थिति के अनुसार होगा, आप अपने शहर/गाँव (भौगोलिक स्थिति) के अनुसार भारत के कुछ भाग में ये एक दिन आगे अथवा एक दिन पीछे मनाई जाएगी। चतुर्दशी तिथि 13 फरवरी 2018, मंगवलार 22:36 (यानी रात्री के दस बजकर छतीस मिनट) से  प्रारंभ होगी जो 15 फरवरी 2018, 00:48 बजे खत्म होगी।

महाशिवरात्रि क्यों कहते हैं?


पुरे साल में 12 शिवरात्रि होता है, शिवरात्रि हरेक महीने कृष्ण चतुर्दशी को होता है , जो कि माह का अंतिम दिन होता है । माघ मास की कृष्ण चतुर्दशी, Mahashivaratri के रूप में पुरे भारत वर्ष में मनाई जाती है। मंदिरों में इस दिन God शंकर की शादी का भी कार्यकर्म किया जाता है।

 

शास्त्रों के अनुसार इसी दिन शंकर पार्वती का marriage हुआ था । पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ Agniling ( जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है ) के उदय से हुआ। God शंकर को खुश करने के लिए पुरे दिन का व्रत रखा जाता है और मंदिरों में God शंकर की पूजा की जाती है और जलाभिशेक्क निसिथ काल में God शिव की Practice और पूजा की जाती है। इस दिन रात्रि Awakening करके भगवान् शंकर की पूजा करने का अत्यधिक महत्व है। एवं इस दिन पूरे year में हुई गलतियों के लिए भगवान शंकर से क्षमा याचना की जाती है तथा आने वाले वर्ष में उन्नति एवं सदगुणों के विकास, मनोकामना की पूर्ति के लिए Prayer की जाती है।


शिवरात्रि के दिन सबसे जो महत्वपूर्ण होता है वो है Panchasrari मंत्र, (पंचक्षरी मंत्र मन्त्र की जानकारी नीचे दे रहे हैं ) Mahashivaratri के दिन शिव भक्त जितना भगवान शिव के पंचक्षरी मंत्र का जप कर लेता है उतना ही उसके Intake की शुद्धि होती जाती है और शिवभक्त अंतःकरण में विराजमान भगवान् शंकर के सबसे करीब होता है। भक्तों के Inequality, रोग, दुख एवं शत्रुजनित पीड़ा एवं कष्टों का अंत हो जाता है एवं उसे परम happiness कि प्राप्ति होती है। और भगवान भोले की कृपा भक्त पर होती है।

महाशिवरात्रि का उपवास किस दिन किया जाए |


महाशिवरात्रि, हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्यौहार है जिसे पुरे भारत में समान उत्साह और भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाने वाले महाशिवरात्रि व्रत का इंतजार सभी शिव भक्त बड़ी बेसब्री से करते है। इस दिन प्रातःकाल से ही शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ जुटने लगती है।



लेकिन इस साल शिवभक्तों की सबसे बड़ी समस्या यही है की महाशिवरात्रि का व्रत किस दिन किया जाए? क्योंकि Mahashivaratri का पर्व फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। लेकिन साल 2018 में 13 फरवरी को पुरे दिन त्रयोदशी तिथि है और मध्यरात्रि में 11 बजकर 35 मिनट से चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होगी। जो अगले दिन यानी 14 फरवरी को पुरे दिन रहेगी और रात 12 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी।

महाशिवरात्रि की कहानी


श्रीमद् भागवत में एक प्रसंग है कि एक बार देवताओं और दैत्यों ने मिल कर भगवान के instructions समुद्र मंथन की योजना बनाई ताकि अमृत प्राप्त किया जा सके। परंतु उस समुद्र मंथन के समय सबसे पहले हलाहल विष (कालकूट नामक विष) निकला था। वह विष इतना विषैला था कि उससे समस्त जगत भीषण ताप से पीड़ित हो गया था। देव-दैत्य बिना पिए उसको सूंघते ही बेसुध से हो गए। देवताओं की प्रार्थना पर और मानव के कल्याण के लिए उस हलाहल विष को भगवान् शंकर ने पिने  का निर्णय लिया।

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