होली क्यों ,कब और प्रहलाद और होलिका की कथा जानिए है

होली क्यों ,कब और प्रहलाद और होलिका की कथा जानिए है



इस वर्ष Holi दहन Thursday, 1 March को होगा एवं धुलण्डी Friday, 2 March के दिन मनाई जाएगी। होली Hindus का प्रमुख त्योहार है। इसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है। Holi फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। फाल्गुन मास Hindu पंचांग के अनुसार वर्ष का अंतिम मास होता है।

हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व है एवं Everyone मास की पूर्णिमा किसी न किसी उत्सव के रूप में मनाई जाती है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा, जो कि मानव मन एवं Brain का कारक है, आकाश में पूर्ण रूप से बली होता है तथा इस दिन पृथ्वी पर इसकी रश्मियां पूर्ण रूप से प्रभावी होती हैं। God सूर्य जो कि पृथ्वी पर जीवन का आधार हैं इनकी रश्मियां तो Earth पर सदैव ही प्रभावी होती हैं। अतः पूर्णिमा के दिन सूर्य एवं चंद्रमा दोनों का प्रकाश Earth पर पूर्ण रूप से प्रभावी होता है।


होली बसंतोत्सव के रूप में फाल्गुन Mass कि पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इसे फूलों का त्योहार भी कहते हैं क्योकि फाल्गुन Mass में बसंत ऋतु अपनी चरम उत्कर्ष पर होती है एवं चारों ओर flower खिले रहते हैं। प्राचीन काल में होली केवल flower से, या फूलों से बने रंगों से ही खेलने का प्रचलन था। परंतु आधुनिक time में रंगों एवं गुलाल से होली खेलने का trend बढ़ गया है।

-: होली कब मनाई जाती है


Holi वसंत ऋतु मे मनाया जाता है। और यह festival हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। फाल्गुन Month मे मनाए जाने के कारण इसे फाल्गुनी भी कहते है। यह त्यौहार वसंत पंचमी से ही शुरू हो जाता है। वसंत की ऋतु मे Hilarity के साथ मनाया जाता है, इसलिए इसे वसंतोत्सव और काम festival (महोत्सव) भी कहते है।

-: होली क्यों मनाई जाती है


Holi त्यौहार के बारे मे तो कई कथाएं प्रचलित है, लेकिन इनमे से सबसे ज्यादा Prahalad  और Holi की कथा सबसे ज्यादा मान्य और प्रचलित है।

-: प्रहलाद और होलिका की कथा


Prahalad एक श्रीहरी विष्णु का परम भक्त था। Prahalad का पिता दैत्यराज हिरण्यकश्यप नास्तिक और निरकुंश था। उसने अपने पुत्र Prahalad से विष्णु भक्ति छोड़ने के लिए कहा लेकिन Prahalad ने अपनी विष्णु भक्ति नहीं छोड़ी।  इसके बाद हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे Prahalad की भक्ति को देखते हुए उसे मरवा देने का निर्णय लिया। किन्तु हिरण्यकश्यप की सारी कोशिश सफल नहीं हो सकी। इसके बाद (हिरण्यकश्यप) Hiranyakashipu ने अपनी बहन होलिका को यह कार्य सौपा।  (हिरण्यकश्यप) Hiranyakashipu की बहन को यह वरदान प्राप्त था कि वह आग मे कभी जल नहीं सकती। हिरण्यकश्यप के आदेश पर होलिका प्रहलाद को जलती हुई आग पर लेकर बैठ गई। आग मे बैठने से Holi तो जल गई, लेकिन प्रहलाद बच गया। इसलिए प्रहलाद कि याद में इस दिन होली जलाई जाती है। Prahalad का अर्थ आनंद होता है। वैर व उत्पीड़न कि प्रतीक Holi (जलाने की लकड़ी) जलती है, प्रेम और उल्लास का प्रतीक Prahalad (आनंद) अक्षुण्ण रहता है। इसलिए यह festival मनाया है।

No comments

Powered by Blogger.