आखिर क्यों होता है ज्यादातर हवाई जहाज सफेद रंग के ही क्यों होते हैं?
आखिर क्यों होता है
ज्यादातर हवाई जहाज
सफेद रंग के
ही क्यों होते
हैं?
साल 1980 में एक
अमेरिकी विमानन कंपनी के
मुखिया रॉबर्ट क्रैंडेल ने
बचत का अजीबो-गरीब दावा
किया. उनका कहना
था कि विमान
में परोसे जाने
वाले सलाद में
से केवल एक
ऑलिव हटाकर उन्होंने
सालभर में करीब
28 लाख रुपए बचाए
हैं. इसके पीछे
क्रैंडेल का तर्क
था कि हर
सलाद से एक
ऑलिव हट जाने
पर विमान के
कुल वजन में
बड़ी कमी आई.
इसके चलते ईंधन
की खपत कम
हुई, जिससे यह
बचत हो सकी.
उनका यह दावा
कितना सही था,
इसका पता तो
नहीं चल पाया
लेकिन यह बात
सही है कि
विमानन क्षेत्र में एयरक्राफ्ट
के वजन पर
बहुत ध्यान दिया
जाता है.
शोध बताते हैं कि
सफेद, पीला या
गुलाबी जैसे हल्के
कहे जाने वाले
रंग, नीले, लाल
या काले जैसे
चटख रंगों की
तुलना में, न
सिर्फ देखने में
बल्कि वजन में
भी हल्के होते
हैं. दरअसल किसी
विमान को पेंट
करने में करीब
ढाई सौ से
पांच सौ किलोग्राम
तक पेंट लगता
है, जो स्वाभाविक
है कि उसके
कुल वजन में
जुड़ता है. इसलिए
सफेद या पीले
जैसे रंग चुनने
पर, वजन में
आने वाला हल्का
फर्क भी विमान
के मामले में
बड़ा हो जाता
है. इसके साथ
ही किसी और
रंग में पेंट
करने से पहले
एयरक्राफ्ट पर सफेद
रंग का बेस
लगाना इसलिए जरूरी
हो जाता है
कि वह रंग
स्पष्ट दिखाई दे सके.
ऐसे में अलग-अलग रंगों
के जितने कोट
विमान पर होंगे,
उसका वजन उतना
ही ज्यादा होगा.
और वजन जितना
ज्यादा होगा ईंधन
भी उतना ही
अधिक खर्च होगा
यानी लागत उतनी
ही ज्यादा बढ़ेगी.
इसीलिए विमानों के लिए
सफेद रंग चुना
जाता है. हां,
इससे इंकार नहीं
है कि इसके
अपवाद भी मौजूद
हैं.
दूसरी वजह पर
आएं तो उड़ान
के दौरान विमान
के भीतर और
बाहर का तापमान
संतुलित बना रहे
यह एक बड़ी
चुनौती होती है.
इस काम में
सफेद रंग एक
जरूरी भूमिका इसलिए
निभाता है कि
यह सूर्य से
आने वाली सारी
किरणों को पूरी
तरह वापस लौटा
देता है. इस
तरह यह गर्मी
कम सोखता है
और विमान का
तापमान संतुलित बना रहता
है. इसके अलावा
सैकड़ों फीट की
ऊंचाई पर सफेद
रंग की यह
खूबी विमान को
सूरज की रोशनी
में मौजूद रेडिएशन
से भी बचाती
है और यही
इस रंग के
लोकप्रिय होने का
सबसे बड़ा कारण
है.
इसके साथ ही
सफेद रंग में
पेंट होने के
कारण विमान में
होने वाली टूट-फूट और
लीकेज भी आसानी
से नज़र में
आ जाती हैं
जो सुरक्षित उड़ान
के लिहाज से
बेहद जरूरी है.
कुछ वैज्ञानिक मानते
हैं कि सफेद
रंग का होने
के चलते विमान
की विजिबिलटी बढ़
जाती है और
ऐसे में पक्षी
आसानी से उसे
देख सकते हैं.
इस तरह पक्षियों
के टकराने से
होने वाली दुर्घटना
की आशंका भी
थोड़ी कम हो
जाती है.
इन सबसे इतर
जिस वजह पर
विमान कंपनियां सबसे
ज्यादा जोर देती
हैं, वो यह
है कि सफेद
पेंट करवाना किसी
भी और रंग
की तुलना में
लाखों रुपए सस्ता
पड़ता है. साथ
ही एक ही
रंग का होने
के चलते कंपनियों
के बीच विमानों
की खरीद-बेच
करने में भी
आसानी बनी रहती
है और केवल
लोगो और थोड़ा-बहुत रंग-रौगन बदलने
भर से काम
हो जाता है.
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