लालची दूध वाले की एक प्रेरक कहानी
लालची दूध वाले की एक प्रेरक कहानी
नदी किनारे एक छोटे से गाँव में रामू नाम का एक दूध वाला रहता था, दिखने में वो बहुत सीधा-साधा और भोला भला था, लेकिन असल में वो था बहुत ज्यादा लालची. उसके घर में रामू के पिता, पत्नी और दो बच्चे रहते थे, रामू जिनता लालची था, उससे कहीं ज्यादा उसके पिता जी इमानदार थे. उसके घर में सिर्फ दूध का ही कारोबार हुआ करता था. और सारा कारोबार उसके पिता देखते थे. रामू अक्सर अपने पिता की ईमानदारी से परेशान रहता. उनकी ईमानदारी की वजह से उसके घर में ज्यादा मुनाफा नहीं आ पाता था, और गाँव के दुसरे दूध वाले बेईमानी से बहुत अमीर बन गए थे.
एक दिन रामू के पिता का निधन हो गया और सारा कारोबार अब रामू के हाँथ में आ गया. जाते-जाते पिता जी ने रामू को ईमानदारी न छोड़ने की सलह भी दी थी, लेकिन रामू को कहाँ कुछ समझ में आने वाला था. रामू ने अगले ही दिन से बेईमानी करना शुरू कर दिया. वो अपने दूध में आधा पानी मिला देता था और उसे शहर में जाकर बेच दिया करता था. इससे उसके पास भी ज्यादा मुनाफा आने लगा.
कई महीनों तक उसने बेईमानी ने काफी सारा पैसा इकट्टा कर लिया. और सारा का सारा धन अपने घर में रख लिया. जैसे-जैसे उसके पास पैसा इकठ्ठा होने लगा वैसे-वैसे उसकी चिंता भी बढ़ें लगी. उसे हर वक्त अपने धन की चिंता सताने लगी, उसे लगता था कि कोई उसके धन को चुरा न ले. एक दिन उसने अपने घर में एक बड़ा सा गड्ढा खोदकर उसमें सारा धन छुपा दिया, लेकिन फिर भी उसकी चिंता कम नहीं हुई.
एक दिन गाँव में चोर घुसे और गाँव वालों का सारा धन चुरा के ले गए,लेकिन रामू का धन बच गया, उसे बड़ी खुशी हुई. एक दिन उसने कुछ पैसे निकलने के लिए वापस से उस गड्ढे को खोला, जैसे ही वो गड्ढा खुला, रामू के होश ही उड़ गए, उसका सारा का सारा धन बर्बाद हो गया था, उसे चूहों ने काट खाया था. अब वो किसी भी काम का नहीं था. रामू परेशान हो गया, और गाँव की पास वाली नदी के किनारे बैठ गया. तभी वहां से एक साधू गुजरे.

साधू की नजर परेशान रामू पड़ पड़ी तो उन्होंने उससे बोला, “वत्स्य क्या हुआ तुझे, तू इतना परेशान क्यों हैं?” रामू ने उनसे सारी बात सही सही बता दी. पहले तो साधू जोर से हँसे और फिर बोले, तुमने अपने पिता की बात नहीं मानी इसलिए तुम आज इतना ज्यादा परेशान हो. अगर तुम अपने पिता के ईमानदारी वाले मार्ग में चल रहे होते, तो आज तुम इतना परेशान न होते. बेईमानी से कमाया गया धन तुम्हारे किसी भी काम नहीं आया. तुम अपने धन को चोरों से तो बचा लिया था, लेकिन चूहों से नहीं बचा पाए.
बेईमानी ने कमाया गया घन, किसी के काम नहीं आता, इसलिए ईमानदारी से ही धन कमाना चाहिए. रामू को साधू की बात अच्छी लगी और समझ में आ गई. इसके बाद रामू ने फिर कभी भी दूध में पानी नहीं मिलाया और अपने पिता के बताये मार्ग पर चलने लगा.
कहानी से सीख:- बेईमानी से कमाया धन हमेशा परेशानी देता था, जबकि ईमानदारी से कमाया गया थोड़ा सा भी धन ख़ुशी देता है.
नदी किनारे एक छोटे से गाँव में रामू नाम का एक दूध वाला रहता था, दिखने में वो बहुत सीधा-साधा और भोला भला था, लेकिन असल में वो था बहुत ज्यादा लालची. उसके घर में रामू के पिता, पत्नी और दो बच्चे रहते थे, रामू जिनता लालची था, उससे कहीं ज्यादा उसके पिता जी इमानदार थे. उसके घर में सिर्फ दूध का ही कारोबार हुआ करता था. और सारा कारोबार उसके पिता देखते थे. रामू अक्सर अपने पिता की ईमानदारी से परेशान रहता. उनकी ईमानदारी की वजह से उसके घर में ज्यादा मुनाफा नहीं आ पाता था, और गाँव के दुसरे दूध वाले बेईमानी से बहुत अमीर बन गए थे.
एक दिन रामू के पिता का निधन हो गया और सारा कारोबार अब रामू के हाँथ में आ गया. जाते-जाते पिता जी ने रामू को ईमानदारी न छोड़ने की सलह भी दी थी, लेकिन रामू को कहाँ कुछ समझ में आने वाला था. रामू ने अगले ही दिन से बेईमानी करना शुरू कर दिया. वो अपने दूध में आधा पानी मिला देता था और उसे शहर में जाकर बेच दिया करता था. इससे उसके पास भी ज्यादा मुनाफा आने लगा.
कई महीनों तक उसने बेईमानी ने काफी सारा पैसा इकट्टा कर लिया. और सारा का सारा धन अपने घर में रख लिया. जैसे-जैसे उसके पास पैसा इकठ्ठा होने लगा वैसे-वैसे उसकी चिंता भी बढ़ें लगी. उसे हर वक्त अपने धन की चिंता सताने लगी, उसे लगता था कि कोई उसके धन को चुरा न ले. एक दिन उसने अपने घर में एक बड़ा सा गड्ढा खोदकर उसमें सारा धन छुपा दिया, लेकिन फिर भी उसकी चिंता कम नहीं हुई.
एक दिन गाँव में चोर घुसे और गाँव वालों का सारा धन चुरा के ले गए,लेकिन रामू का धन बच गया, उसे बड़ी खुशी हुई. एक दिन उसने कुछ पैसे निकलने के लिए वापस से उस गड्ढे को खोला, जैसे ही वो गड्ढा खुला, रामू के होश ही उड़ गए, उसका सारा का सारा धन बर्बाद हो गया था, उसे चूहों ने काट खाया था. अब वो किसी भी काम का नहीं था. रामू परेशान हो गया, और गाँव की पास वाली नदी के किनारे बैठ गया. तभी वहां से एक साधू गुजरे.

साधू की नजर परेशान रामू पड़ पड़ी तो उन्होंने उससे बोला, “वत्स्य क्या हुआ तुझे, तू इतना परेशान क्यों हैं?” रामू ने उनसे सारी बात सही सही बता दी. पहले तो साधू जोर से हँसे और फिर बोले, तुमने अपने पिता की बात नहीं मानी इसलिए तुम आज इतना ज्यादा परेशान हो. अगर तुम अपने पिता के ईमानदारी वाले मार्ग में चल रहे होते, तो आज तुम इतना परेशान न होते. बेईमानी से कमाया गया धन तुम्हारे किसी भी काम नहीं आया. तुम अपने धन को चोरों से तो बचा लिया था, लेकिन चूहों से नहीं बचा पाए.
बेईमानी ने कमाया गया घन, किसी के काम नहीं आता, इसलिए ईमानदारी से ही धन कमाना चाहिए. रामू को साधू की बात अच्छी लगी और समझ में आ गई. इसके बाद रामू ने फिर कभी भी दूध में पानी नहीं मिलाया और अपने पिता के बताये मार्ग पर चलने लगा.
कहानी से सीख:- बेईमानी से कमाया धन हमेशा परेशानी देता था, जबकि ईमानदारी से कमाया गया थोड़ा सा भी धन ख़ुशी देता है.
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