दीपावली क्यों मनाई जाती है? दीपावली कैसे मनाये एक नए अंदाज में


दीपावली क्यों मनाई जाती है? दीपावली कैसे मनाये एक नए अंदाज में




दीपावली का त्योहार देशभर में मनाया जाता है (Deepawali ) दीपावली हिन्दू धर्म में मुख्य पर्व माना जाता है। दिवाली Light (रोशनी) का पर्व कार्तिक की अमावस्या के दिन दिवाली मनाया जाता है। इस भगवान राम जब असुरराज रावण को मारकर Ayodhya (अयोध्या)  नगरी वापस प्रथान किया था तब नगरवासियों ने अयोध्या को साफ-सुथरा करके रात को दीपकों की Light (रोशनी) से दुल्हन की तरह जगमगा दिया था। तब से आज तक यह परंपरा रही है कि, कार्तिक अमावस्या के गहन अंधकार को दूर करने के लिए Light (रोशनी) के दीप जलाये जाते हैं।

कब मनाई जाती है दीपावली


दीपावली हिन्दू धर्म में मुख्य पर्व माना जाता  है।  दिवाली Light (रोशनी) का पर्व कार्तिक अमावस्या के दिन मनाया जाता है । दीपावली का यह पर्व 5 दिनों ( धनतेरस, नरक चतुदर्शी, अमावश्या, कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा, भाई दूज ) का होता है इसलिए यह धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज पर पूरा हो जाता है। इसमें सबसे प्रमुख तीसरा दिन माना जाता है, इस दिन मां लक्ष्मी की व भगवान गणेश जी  की मुख्य पूजा की जाती है।

दीपावली पर्व 2018

- धनतेरस (पहला दिन): सोमवार, 5th नवंबर  2018 
- नरक चतुर्दशी (छोटी दीवाली): मंगलवार, 6th नवंबर  2018
- लक्ष्मी पूजा (मुख्य दिवाली): बुधवार, 7th नवंबर  2018
- बाली प्रतिप्रदा या गोवर्धन पूजा: गुरुवार, 8th नवंबर  2018
- यम द्वितीय या भाईदूज: शुक्रवार, 9th नवंबर  2018

दीवाली पूजा हेतु पूजन सामग्री
(Deepawali) दीपावली की पूजा सामग्री वस्तुएं हैं- लक्ष्मी, सरस्वती व गणेश जी की प्रतिमा ( चित्र प्रतिमा ) , थाली, silver (चांदी) का सिक्का, रोली, चावल, कुमकुम, चौकी, शंख, आसन , पान, सुपारी, लौंग, अगरबत्तियां, इलायची, धूप, कपूर, रुई, कलावा (मौलि), नारियल,  दही, गंगाजल, गुड़,  गेहूँ, फूल,  दूर्वा, सन्दलवुड, सिंदूर, घृत, शहद, धनिया, फल,  जौ,पंचामृत,मेवे, खील, बताशे, दूध, गंगाजल, यज्ञोपवीत (जनेऊ), कलश, कमल के फूलों का हार (Garland) इत्र, मिट्टी तथा तांबे के दीपक, देवताओं के प्रसाद हेतु मिष्ठान्न ( बिना वर्क का)

दीवाली की पूजा विधि


दीवाली की पूजा में सबसे पहले एक चौकी पर White वस्त्र बिछा कर उस पर मां लक्ष्मी, सरस्वती व गणेश जी का चित्र या प्रतिमा को विराजमान करें। इसके बाद हाथ में पूजा के जलपात्र से थोड़ा-सा जल लेकर उसे image (प्रतिमा) के ऊपर निम्न मंत्र Read (पढ़ते) हुए छिड़कें। बाद में इसी तरह से स्वयं को तथा अपने पूजा के आसन को भी इसी तरह जल छिड़ककर पवित्र कर लें।

"ऊँ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।।
इसके बाद मां पृथ्वी को प्रणाम करके निम्न मंत्र पढ़ते तथा उनसे क्षमा प्रार्थना करते हुए अपने Posture  (आसन) पर विराजमान हों जाना चाहिए

"पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग ऋषिः सुतलं छन्दः कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता। त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥ पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमः"

इसके बाद " ॐ केशवाय नमः, ॐ नारायणाय नमः, ॐ माधवाय नमः" कहते हुए गंगाजल का आचमन करें


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